“शाबीर” का आका के दम पर खुलेआम जुआ, संट्टा कानून का कोई खौफ नहीं..?

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“शाबीर” का आका के दम पर खुलेआम जुआ, संट्टा

कानून का कोई खौफ नहीं..?

 

चंद्रपुर/यवतमाल/वणी 

पुरी खबर :- चंद्रपुर तथा यवतमाल जिले में कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ होने की वजह से ”हाफिज” के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है, उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख “हाफिज” के हाथ  कानून से भी लंम्बे है.! और उसे कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है?

चंद्रपुर जिले तथा यवतमाल वणी, शिरपुर, घुग्घुस शहर के वर्धा नदी पार नायगांव चेक पोस्ट क्षेत्र में इस खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाए एवं बच्चे भी दिन-रात अंकों के जाल में उलझे जा रहे हैं। प्रमुख ”हाफिज” के एजेंट जो पट्टी काटते हैं. इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग बाजार, बस स्टैण्ड, हॉस्पिटल सहित अन्य क्षेत्रों में खुलेआम पट्टïी काटकर एवं मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर “डाका” डाल रहे हैं. जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोडक़र सभी को है?

लालच के दलदल में फंस रहे युवा

सूत्रों की मानें तो वर्तमान समय में संभागीय मुख्यालय में अवैध कारोबार का हिसाब-किताब प्रत्येक शनिवार को किया जा रहा है। कुछ लोग ‘अचूक, और अन्य नामों से साप्ताहिक व मासिक सट्टïा चार्ट की भी बिक्री कर रहेे हैं. जिसकी मांग सट्टïा प्रेमियों में ज्यादा है। गरीब बेरोजगार युवाओं को मोटे कमीशन का लालच देकर इस अवैध कारोबार में उतारा जा रहा है?  आगे चलकर यही युवा अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं। शिकायत होने पर जब पुलिस अभियान चलाती है तो, हाफिज को बक्श कर अक्सर इन्हीं युवाओं के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेती है।

 


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कानून का कोई डर नहीं..?

यवतमाल जिले के पुर्व एसपी भुजबल पाटिल का भय इतना था की यवतमाल तथा यवतमाल जिले के वणी, शिरपुर थाने में अवैध कारोबारियों को सांप सुंघ गया था. पर आज घुग्घुस थाने से एक हात दुर रहकर भी घुग्घुस पुलिस के हाथ सीमा की मजबूरी के कारण बंधे हुए नजर आते है. इसी का फायदा उठाकर हाफिज अपने नुमाइंदों को लगाकर घुग्घुस की युवा पीढ़ी को बर्बादी की ओर ढकेल रहा है. चंद्रपुर जिले की घुग्घुस पुलिस चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती है?

  • क्या सीमा की बंदिशों को तोड़ा नही जा सकता है.?
  • क्या यवतमाल जिले के आला अधिकारियों को इस बात की सुचना नही दि जा सकती या फिर देना नही चाहते.?

“हाफिज” के खाकी के साथ मधुर संबंध कुछ दिन पुर्व हि उजागर हुए है. “हाफिज” के नुमाइंदों को पुलिस उठाकर लाती है, उन पर केस भी दर्ज होता है, चर्चा है कि अब तो पुलिस गवाह खुद लेकर चलती है, सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि पुलिस की कार्यवाही में सट्टोरिये पकड़ाते जरूर है, लेकिन उनके पास से कभी 500 रूपये 1000 रूपये से ज्यादा बरामद होता नहीं है, अब तो “हाफिज” के नुमाइंदे खुद ही चौक-चौराहों पर यह बोलते नजर आते हैं कि आज ले गये थे, अब एक सप्ताह, महीने भर कोई दिक्कत नहीं है. अगर बीते माहों में हुई कार्यवाही पर नजर डाले तो, थानों में चल रही कार्यवाही से खुद इस बात के प्रमाण मिल सकते है.