चंन्द्रपुर जिले मे जंगली जानवरो का दहशत, 2 साल मे 7 लोगो की मौत…!

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चंन्द्रपुर जिले मे जंगली जानवरो का दहशत, 2 साल मे 7 लोगो की मौत…!

चंन्द्रपुर/महाराष्ट्र
दि. 31 दिसम्बर 2021

रिपोर्ट:- कामताकुमार सिंह ,  दुर्गापुर सवांददाता- 

पुरी खबर प्रायः हर दिन जंगली जानवरों  बाघ, तेंदुआ, भालुओं  का दर्जनों लोंग दर्शन कर रहे है। इस कारण उर्जानगर ,दुर्गापुर, नेरी, भटाली, पायली, चिंचोली, पदमापुर, कवठी, बिचोड़ा, खैरगाँव, सहित चन्द्रपुर के उत्तरी व पूर्वी क्षेत्र के रहवासी  जंगली जानवरों के दहशत में है। ऐसा लगता है  कि जंगली जानवरों का चन्द्रपुर के उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में राज कायम हो गया है। जब चाहे किसी पर भी हमला कर सकता है। यही कारण है कि मात्र दो वर्ष में सिर्फ उर्जानगर दुर्गापुर क्षेत्र में जंगली जानवरों ने 7 लोंगो को मार चुका है तथा दर्जन भर घायल हुए है।

पिछले 2 वर्ष में 7 को जंगली जानवरों  ने मारा…

11 नवंबर को वेकोलि दुर्गापुर के सबस्टेशन के पास  लकड़ी चुनने गए 48 वर्षीय अनिल मुंजनवार  तेंदुआ के हमला में मारा गया। डेढ़ महीना पूर्व नेरी नाला के पास 70 वर्षीय बुजुर्ग रामटेके का क्षत विक्षत शव मिला था।  8 अक्टूबर 2021 को बबलु सिंह उम्र 26 का बाघ ने  वेकोलि दुर्गापुर क्षेत्र  में न सिर्फ मारा अपितु शव के आधा हिस्से को भी खा  गया था। 27 सितंबर 2021 को बुजुर्ग -रत्नापरखी की लाश वेकोलि दुर्गापुर क्षेत्र के जंगल में मिला था। डेढ़ वर्ष पूर्व  एक युवक  का लाश तेंदुआ द्वारा खाया हुआ क्षत विक्षत लाश मिला था। 2 वर्ष पहले दुर्गापुर खदान के लिये बन रहे टाइम ऑफिस के पास एक प्राइवेट चौकीदार को तेंदुआ ने हमला कर के जान ले ली थी। सिटीपीएस में एक सी आई एस एफ के जवान के 8 वर्षीय सुपुत्री को तेंदुए ने उठाकर अंदर के क्षेत्र में ले जाकर उसे मार दिया था।
जंगली क्षेत्र से लगे एक दर्जन गांवों के 75 हजार लोंग तेंदुआ और बाघ के जद में है। आस पास में दर्जन भर तेंदुए और बाघ बेखौफ घूमते हुए प्रति दिन दर्जनों लोंगो को दर्शन दे रहे  है।लोंगो में तो यह भी चर्चा है कि टूरिस्ट ताडोबा जंगल मे जाकर शायद तेंदुआ बाघ नहीं देख पाए परन्तु यहाँ थोड़ा घूम ले तो अवश्य दिख जाएगा।

जंगली जानवरों से बचने के लिए उपाय योजना की जरूरत.।

क्षेत्र के 75 हजार लोंगों की जान खतरे में है। कब किसका नम्बर आ जायेगा कोई नहीं जानता। जंगली जानवरों  से बचने के लिये सभी सरपंचों, पंचायत समिति, जिलापरिषद सदस्यों, सभापति, वेकोलि  व सिटीपीएस प्रबन्धक तथा वन विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ मीटिंग बुलाने की जरूरत है। विधायक, सांसद और पालक मंत्री अपने नेतृत्व में प्रक्रिया शुरू करे।

झुडपी हटाने की जरूरत…

जंगल मे रहने वाला तेंदुआ-बाघ रिहायसी क्ष्रेत्र में क्यों रहना पसंद कर रहे है। इसका उत्तर ढूढ़ना जरूरी है। घनी और ऊंची पेड़ वाला जंगल छोड़कर  बस्ती समीप कटीला बबूल  के झुडपी में तेंदुआ बाघ क्यो रहना चाहता है?  ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर ढूढने के बाद ही इनसे बचने के उपाय संभव है।