कोरपना मे पत्रकार द्वारा खुलेआम चलाए जा रहे सट्टा बाजार की चर्चा जोरों पर?

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कोरपना मे पत्रकार द्वारा खुलेआम चलाए जा रहे सट्टा बाजार की चर्चा जोरों पर?

क्या महिलाए करेगी. आन्दोलन?
क़्या वन अधिकारी में ईस सट्टा बझार में शामिल ?
वनाधिकारी क़ी आशीर्वाद से चल रहाँ है सट्टा मटक़ा और झंडी-मुंडी ?

चंद्रपुर/महाराष्ट्र
दि.22 मार्च 2022

पुरी खबर:- कोरपना चंद्रपुर शहर के 50 से अधिक किलो मिटर की दुरी पर है और वहा पर स्थित वर्तमान के SDPO साहब जो की पुर्व मे चंद्रपुर शहर और वणी क्षेत्र मे काफी बेहतरीन कार्य भी कर चुके है। आज वर्तमान मे कोरपना शहर की अहम भूमिका मे है और उनका कार्य भी सराहनीय रहा है।

कोरपना शहर के अवैध व्यापार कि चर्चा जिले मे प्रचलित?
क़्या इसमें क़ोरपना क़े दिग्गज नेता क़ी पार्टनरशिप क़ी संभावना?

आज जोरों पर चर्चा कोरपना शहर कि है मुख्य कारण किसी पत्रकार के द्वारा चलाए जा रहे अ्वैध व्यापार की है. किसी वरिष्ठ पत्रकार का इस प्रकार अवैध व्यापार करना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दागदार करने जैसा है? क्या कारण है की पत्रकारिता को ताक पर रख इस पत्रकार को इस राह पर चलना पडा? यह भी संसोधन का विषय है? क्या कयण है की प्रसासन ने इस पत्रकार के कारनामों को अब तक उजागर नही किया? अब इसे मजबूरी समझा जाए या फिर रहमो करम एसे सवाल आज कोरपना की आम जनता मे उठ रहे है।

पत्रकारिता को दागदार करती पत्रकार की भुमिका है?

चर्चा कोरपना शहर मे पत्रकार द्वारा चलाए जा रहे सट्टा बजार की है मुख्य चर्चा पत्रकारिता को दागदार करती इस घटना ने पत्रकारिता पर सवाल खडे करने के साथ साथ जनता के भरोसे को तोडने जैसा दिखाई पड रहा है। कोरपना शहर मे महिलाओं ने इस विषय की गंभीरता को समझते हुए कई बार आवाज उठाने की कोशिश की पर हिम्मत नहीं जुटा पाई। क्या इस बार महिलाओं द्वारा यह आन्दोलन को उठाया जाएगा? यह प्रश्न इस वजह से खडा हुआ है क्योंकि एक ही दिन मे इस लालच के खेल ने कई घर उजाडे है?
और कईयो के भविश्य को भी खत्म किया है?

चंद्रपुर जिले के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने जमिर से सौदा नहीं किया.

पत्रकारिता मे हमने ऐसे भी पत्रकार देखे है जिन्होंने अपने जमिर से सौदा ना करते हुए अपने हालतो से लडते आए है और आज भी लड रहे है? यह जुनून नही उनकी अपनी मानसीकता है जो हालातों की गुलाम नही हुई है। पर आज पत्रकारिता को दागदार करती यह घटना सवालों के घरे मे है, जो की बहुत हि शर्मनाक है.

 

महाराष्ट्राचे माजी मुख्यमंत्री मा. सां. कन्नमवार यांनी राज्यात काय घडत आहे, हे दाखविण्यासाठी गांधी चौकात ते फळ्यावर लिहायचे. लोकांना जिल्ह्याव्यतिरिक्त राज्यातील घडामोडी कळाव्या, हा यामागील उद्देश होता. त्यानंतर कन्नमवारजींनी चंद्रपूर जिल्ह्यातील सर्वप्रथम साप्ताहिक वृत्तपत्र काढले. आजही जिल्ह्यात चाळीस वर्षांपेक्षा जास्त पत्रकारिता करणारे अनेक जण हयात आहेत, फक्त समाजसेवा, अन्यायाला वाचा फोडणे, वंचितांना न्याय मिळवून देणे, वृत्तपत्राच्या माध्यमातून लेखणीच्या माध्यमातून कुणालाही न भिता व कोणतीही अपेक्षा न बाळगता लेखणीच्या माध्यमातून न्याय मिळवून देण्याचे कार्य करणारे अनेक पत्रकार या जिल्ह्याने बघितले आहे. चाळीस-पन्नास वर्षापेक्षा जास्त काळ कोणतीही अपेक्षा न बाळगणारे, निष्पक्ष पत्रकारिता करणाऱ्या पत्रकारांच्या पत्रकारीतेला कलंकीत करणारी पीत पत्रकारिता आज मोठ्या प्रमाणात समोर येत आहे. पत्रकार म्हणून मिरवायचे व स्वतः पैसा कमविण्यासाठी चुकीचे व्यवसाय करायचे अशांची संख्या मोठ्या प्रमाणात वाढली असून पत्रकारितेसाठी हे घातक असले तरी चोरांची आयुष्य जास्त नसते हे मात्र आताचे पीत पत्रकारिता करणारे विसरले आहे.