मुख्य सुर्खियां किसी भी नागरिक को मास्क नहीं पहनने या लॉकडाउन की शर्तों का पालन नहीं करने पर शारीरिक दंड नहीं दिया जाना चाहिए, पिछले तीन महीनों में मध्य प्रदेश में एक वकील और दो पत्रकारों पर पुलिस ने हमला किया था… मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार (27 मई) ने अपने एक पुराने निर्देश को दोहराया कि कोई भी नागरिक, जिसने मास्क नहीं पहना है या सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन नहीं करता है या लॉकडाउन की शर्तों का पालन नहीं करता है, उसकी पिटाई नहीं की जानी चाहिए या शारीरिक दंड नहीं दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और ज‌स्ट‌िस अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने उक्त टिप्पणी पुलिस अधीक्षक, इंदौर को पुलिस द्वारा की गई ज्यादती और पिटाई की शिकायतों पर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए की।

निर्दोष रिक्शा चालक को बेरहमी से पीटा था…!

मामला ओशीन शर्मा और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका में पुलिस स्टेशन – परदेशीपुरा, इंदौर में तैनात दो पुलिस कांस्टेबलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए निर्दोष रिक्शा चालक को बेरहमी से पीटा था। याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादियों को स्वतंत्र समिति या शिकायत प्रकोष्ठ का गठन करने का निर्देश देने की प्रार्थना की थी, जो पुलिसकर्मियों के ज्यादतियों के खिलाफ शिकायतों की जांच कर सके।

वीडियो वायरल होने के बाद निलंबित कर दिया गया था…!

उदाहरण याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि 8 अप्रैल, 2021 को इंडियन एक्सप्रेस, भोपाल संस्करण में प्रकाशित समाचार के अनुसार, पुलिस स्टेशन – परदेशीपुरा, इंदौर के दो कांस्टेबलों को एक ऑटो-रिक्शा चालक की पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद निलंबित कर दिया गया था। कांस्टेबलों ने चालक को उचित तरीके से मास्क नहीं लगाने के लिए पीटा था। मालवा मिल गेट पर तैनात दो पुलिसकर्मियों ने एक ऑटो रिक्शा चालक को रोक कर पूछा था कि उसने ठीक से मास्क क्यों नहीं पहना था। मास्क उसकी नाक से फिसल गया था।

ऑटो-रिक्शा चालक ने समझाया कि उसके पिता बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, वह उनसे मिलने जा रहा था…!

याचिका में आगे कहा गया है कि ऑटो-रिक्शा चालक ने समझाया कि उसके पिता बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, वह उनसे मिलने जा रहा था, हालांकि पुलिसकर्मियों को उसकी बात पसंद नहीं आई और उन्होंने उसे पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा। थाने में आने से इनकार करने पर पुलिसकर्मियों और ऑटो-रिक्शा चालक के बीच हाथापाई हुई और उसे जबरन थाने ले जाया गया। जबकि वहां खड़े रिक्शा चालक के बेटे ने पुलिसकर्मियों से अपने पिता को ना पीटने की गुहार लगाई।

पिछले तीन महीनों में मध्य प्रदेश में एक वकील और दो पत्रकारों पर पुलिस ने हमला किया था…!

इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने एक मामले का जिक्र करने के अलावा पुलिस अत्याचार के तीन अन्य मामलों का जिक्र किया, जिसमें पिछले तीन महीनों में मध्य प्रदेश में एक वकील और दो पत्रकारों पर पुलिस ने हमला किया था। दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देते हुए, हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि पुलिसकर्मियों को लोगों को मास्क पहनने, सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करने या लॉकडाउन/कोरोना कर्फ्यू प्रतिबंधों का पालन करने जैसे COVID प्रोटोकॉल का पालन करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना चाहिए। अंत में कोर्ट ने कहा, “यह न्यायालय इस संबंध में WP No 8655/2021 (शेखर चौधरी बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य) में 17.5.2021 को पारित आदेश के निर्देशों को दोहराती है कि कोई भी नागरिक जो मास्क नहीं पहने पाया जाता है या सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन नहीं करता है या लॉकडाउन की शर्तों का पालन नहीं करता है, को शारीरिक दंड नहीं दिया जाना चाहिए या पिटाई नहीं की जानी चा‌हिए।”