फिर एक बार सुधीर भाऊ की मदत से दूसरे राज्य में जान बचाई जा सकी, आशा की किरण बने सुधीर भाऊ

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चंद्रपुर/महाराष्ट्र

दि. १८ में २०२१

पुरी घटना चंद्रपूर : पूर्व राज्य सरकार में मंत्री सुधि्र मुनगंटीवार अपनी बेहतर कार्यप्रणाली के कारण हमेशा जनता में चर्चा का विषय बने रहते है। राजकरण हो या वक्तिगत समाजकरण तत्पर्ता से जनता के सुख दुख में शामिल हो उनकी मदत के लिए सदा ही अग्रसर रहने वालें उनकी समस्या का निराकरण करना ही अपना एक मात्र उद्देश मानते हुए  जनता की हर समस्या अपनी समस्या इस विचार के साथ जनता की हर समस्या को सुलझाने का काम सुधीर भाऊ करते ही रहते है,और उनकी समस्या का समाधान और निराकरण भी बड़ी तत्परता से करते है।

सुधीर भाऊ ने चंद्रपुर को महाराष्ट्र में एक अलग ही पहचान दी है सुधीर भाऊ अपनी विशेस कार्यशैली के कारण पूरे महाराष्ट्र में प्ररचलित है सत्ता में न रहते हुवे भी, यदि समाज कार्य की प्रबल इच्छा शक्ति हो तो , किस प्रकार जनता की मदत की जा सकती है, यह राजनीति में प्रवेश कर चुके या कर रहे युवाओ को सुधीर भाऊ से सीख लेकर राजनीतिक भविष्य में अच्छी सुरुवित करनी चाहिए ।

आज यह सब बताने की जरूरत क्यू पढ़ी है?  कुछ दिन पूर्व घाटी एक घटना से ऐसे विचार सामने आए है।

चंद्रपुर के प्रतिष्ठित सलूजा परिवार पर घटित एक प्रशंग…!!

सलूजा इनकी बहन चंद्रपुर में आई हुई थी उस वजह से उनके घर में कोरोना संक्रमण फैल सकता है ऐसा उन्हें महसुस हुआ। इस तरह के विचार आने पर परिवार ने सहपरिवार हैदराबाद के फ्लैट में रहेंगे ऐसा १८ एप्रिल को लक्की सलुजा यह पत्नी और बेटी के साथ हैद्राबाद के लिए निकले, वहां उनका अंदेशा सही साबित हुआ, २२ एप्रिल को उनकी बेटी कोरोना संक्रमित पाई गई, जिसके उपरांत सभी ने जांच की तो सभी कोरोना संक्रमण से ग्रसित पाए गए जिससे सलूजा चिंता ग्रस्त हो 25 अप्रैल को उन्हें लगा कि अब अस्पताल में जगह मिलना जरूरी है। इसके उपरांत अस्पताल की चौखट छाननी शुरू कि 50 हजार प्रतिदिन किराया होगा तब भी अस्पताल में दाखिला ले लिया जाएगा ऐसी तैयारी भी थी। पैसे की कोई कमी न थी, फिर भी अस्पताल में जगह ही नहीं मिल पा रही थी। धन संपदा किसी काम की नहीं, ऐसा सलूजा परिवार को महसूस होने लगा। धन संपदा कितनी भी हो पर कोरोना पर विजय नहीं पाया जा सकता ऐसा लक्की सलूजा ने प्रत्यक्ष महसूस किया।

स्वत: कोरोना संक्रमित होने की वजह से वाहन में वाहन चालक भी रखना संभव न था। 29 अप्रैल बेटी का एचआरसीटी रिपोर्ट प्राप्त होते ही आंसुओं की धारा बह उठी, कुछ समझ नहीं आ रहा था।
पैसा है, गाड़ी है,नौकर है, सभी सुविधाएं खरीदने की हैसियत भी है, पर विपरीत परिस्थितियों के सामने मजबूर है अब कुछ नहीं हो सकता ऐसा महसूस होने लगा।

चंद्रपुर से रेडमीसीवर इंजेक्शन भी बुला लिया गया 60 किलो का ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाया जा चुका था, पर इसका अनुभव ना होने से कुछ भी नहीं किया जा सकता था। अस्पताल और डॉक्टर के उपचार के सिवा पर्याय न था। यह बताते हुए सलूजा बोले शुरुआत में परिस्थितियों से लड़ा गया, पर बाद में वे हताश हो चुके थे‌।
जीवन और मृत्यु इन दोनों में अंतर कम रह गया था सभी रास्ते बंद हो चुके थे समय कम था मस्तिष्क में अलग-अलग  विचार घर कर रहे थे।
कुछ समय पश्चात मस्तिष्क में ऐसा विचार आया कि अपने चंद्रपुर से कौन हैद्राबाद में मदद कर सकता है ऐसा ध्यान करने पर एक ही नाम आंखों के सामने आया ”वह था सुधीर मुनगंटीवार” यही व्यक्ति अपने ऐसे क्षण में मदद कर सकता है ऐसी आशा रख पक्षभेद वैचारिक मतभेद बाजू में रख मुनगंटीवार इन्हें एक फोन कर अपनी आपबीती बताई।
उसके उपरांत जो हुआ वह कल्पना के परे था। सुधीर भाऊ की मदद से जीवन और मृत्यु में अंतर बढ़ गया।
मुनगंटीवार ने रात में उन्हें हैद्राबाद में बेड उपलब्ध कराया इसके बाद सब सही होने लगा आज भी हम तीनों ही उसी अस्पताल में है।
अपार धन संपदा होने के बाद भी यह मदद अमूल्य है सुधीर मुनगंटीवार इन्होंने दिल में जगह बनाई है ऐसी भावना लक्की सलूजा ने व्यक्त की है और उस समय वे भावुक हो गए थे।

आज की परिस्थितियों में जहां कुछ नेताओं ने जनता से दूरी बना रखी है वही सुधीर मुनगंटीवार कई लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आए।

मनुष्य मनुष्य की मदद कर सकता है इस विचार के है सुधीर भाऊ…!