कोयले का झोल..क्या कोल इंडिया विजिलेंस से निलजई हेराफेरी प्रकरण की जांच का आदेश होगा?..

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चन्द्रपुर/महाराष्ट्र
दि. १५ अप्रैल २०२१

पुरी खबर :- यवतमाल जिले के निचलेई कोयला  खान में बीते 18 मार्च को हुए कोयला प्रकरण में फरार हुए शहजाद शेख और कुबेर वर्मा का अभी तक पकड़ा ना जाना कोयला घोटाले में आगे की जांच में बाधा जैसा दिखाई दे रहा है?
पूरे प्रकरण के प्रारंभ में कुछ इलेक्ट्रॉनिक समाचार में दम भरते हुए अधिकारियों के मन्शा इन अवैध कोयला व्यापारियों पर पूरी तरह लगाम कसते दिखाई दे रहे थी। और यह जांच कर्तव्य निष्ठा अधिकारियों के पास है। सात अपराधियों के घटना स्थल पर पकड़े जाने से स्पष्ट हो गया था। आगे की कार्रवाई मे कोयला प्रकरण में लिप्त कोल माफियाओं के मुख्य किरदार जेल की सलाखों के पीछे नजर आएंगे ऐसी आशाएं बधी…!

पर कुछ समय पश्चात    सात अपराधियों की जमानत मंजूर होने के बाद और कुबेर वर्मा और शहजाद शेख के न पकड़े जाने से क्या फिर “वही दम तोड़ती जांच की गतिविधियां” दिखाई दे रही है?


2G ,3G के बाद गिरी जी का घोटाला आया सामने, वणी में धरे गए तीन कोयले से भरे ट्रक


ऐसा पुर्व के कई प्रकरण में साबित भी हो चुका है पिछले वर्ष चंद्रपुर जिले मे पकड़े गए 26 ट्रक और प्रकरण के अपराधियों की पहुंच उनका वर्चस्व फिर उन्हें न्यायालय से जमानत मंजूर होना।

  • क्या कारण है कि जांच एजेंसियां कोयलप्रकर  के अपराधियों को उनके सही अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश तो करती है पर पहुंचा नहीं पाती है?
  • आखिर में फिर वही, जांच प्रथम जांच ही दिखाई देती है?
  • ‌क्या इन कोयला व्यापारियों की ऊंची पहुंच जांच में बाधा डालती है?
  • क्या इन व्यापारियों ने कोयला नीति कारों को मोह माया में फास रखा है?
  • ‌क्या इन कोयला व्यापारियों को राजनीति शह प्राप्त है?
  • ‌क्या इन कोयला व्यापारियों की जड़ें  मजबूत है?
  • इनके खिलाफ जांच करने वाले जांच तंत्र की जांच को किस माध्यम से रोका जाता है?

ऐसे सवाल आज इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि कई प्रकरणों में लिप्त इन अवैध कोयला व्यापारियों का नाम तक सामने नहीं आ पाया है जांच तंत्र सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ा कर, कागज काला कर चुका है। करता निलजई प्रकरण भी उसी दिशा में जाता हुआ दिखाई दे रहा है?

इसी प्रकार की कार्रवाई चंद्रपुर जिले में की गई जिसमें 26 ट्रकों को अनुदान का कोयला निजी टालोपर  खाली करने के दौरान पकड़े जाने के बाद भी जांच तंत्र एक दूसरे पर गेद उछालते हुए दिखाई दिए, फिर अंत वही लीपापोती…
पुरजोर न्यायिक व्यवस्था के हथकंडे का इस्तेमाल हुआ..
आज अवैध कोयला हेराफेरी कर रहे अपराधी इतने माहिर हो चुके हैं कि उन्हें कानून व्यवस्था को अपनी ढाल बना बच निकलने में महारत हासिल है सात अपराधियों की जमानत मंजूर होने के बाद निश्चित ही 93 ट्रकों के बंदरबांट में शामिल अवैध कोयला व्यापारियों को राहत महसूस हुई होंगी?
सूत्रों के मुताबिक गिरी जो मुख्य अपराधी शहजाद और अवैध कोयला व्यापारियों के बिच में सामान्यजस स्थापित कर अवैध कोयला व्यापारियों के लिए बिचौलियों की भूमिका में रहा है? उसने पुलिस के पीसीआर में क्या बताया यह अभी जांच तंत्र का हिस्सा बना हुआ है और क्या जाच तंत्र ने उसके बताए हुए अपराधीयो को गिरफ्तार किया है? ऐसा तो जांच तंत्र को ही पता पर क्या गिरी ने उस डिओ से निकले लगभग 93 ट्रकों के बंदरबांटो का नाम लिया है? या फिर जान कर भी अंजान बन  उसने जांच एजेंसियों को गुमराह किया है? क्योंकि एक दिन पुर्व की घटना  हवा की रफ्तार से फैली थी।

राष्ट्रीय संपत्ति की लूट में शामिल आकाओं का पता लगाना जरूरी हो गया है। कोल इंडिया के पास विजिलेंस टीम है। कोल इंडिया विजिलेंस के माध्यम से इस प्रकरण की जांच करवा कर सरकारी तंत्र में मौजूद भेदियो का पता लगा उन्हें उनके सही अंजाम तक पहुंचा सकती है? ऐसी चर्चा आज इस प्रकरण के बाद पूरे क्षेत्र में चल रही है क्या कोल इंडिया अपनी ओर से इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच का आदेश होगा?
यह तो आने वाला समय ही बताएगा पर सच को नकारा नहीं जा सकता राष्ट्रीय संपत्ति की लुट जनता की लुट है।