एक धमाके के साथ खत्‍म हो गया एक अध्‍याय, राजीव की मौत पर खामोश थी दुनिया और हैरान थे लोग

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नागपुर : सौम्य व्यक्तित्व वाले राजीव गांधी को 31 अक्टूबर 1984 को उनकी मां और देश की तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। 20 अगस्त 1944 को जन्में राजीव गांधी देश के सबसे कम उम्र के पीएम थे। इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को रिकॉर्ड बहुमत भी मिला था। अपने कार्यकाल में उन्‍होंने नौकरशाही में सुधार लाने और देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए जोरदार कदम उठाए। राजीव गांधी को देश में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार क्रांति का जनक भी कहा जाता है। राजीव गांधी कभी कोई निर्णय जल्दबाजी में नहीं लेते थे।

20 अगस्त, 1944 को राजीव गांधी का जन्म बॉम्बे प्रेसीडेंसी में हुआ था। वे अपने परिवार के तीसरी पीढ़ी क पीएम थे। जवाहर लाल नेहरू के प्रपौत्र और इंदिरा गांधी के इस बेटे को राजनीति विरासत में मिली थी। राजीव गांधी और उनके छोटे भाई संजय गांधी की शिक्षा-दीक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में दाखिला लिया तथा केंब्रिज विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा राजीव कमर्शियल पायलट लाइसेंस होल्‍डर थे। भारत वापस आने के बाद उन्‍होंने काफी समय तक इंडियन एयरलाइंस को बतौर पायलट अपनी सेवाएं दी। हालांकि उनका राजनीतिक करियर काफी लंबा नहीं रहा और 21 मई, 1991 को मद्रास से करीब 30 मील दूर श्रीपेरमबुदूर में हुई एक रैली के दौरान एलटीटीई के उग्रवादियों ने उनपर आत्मघाती हमला कर हत्‍या कर दी। उनके निधन ने देश ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था।

वर्ष 1987 में भी श्रीलंका में राजीव गांधी पर एलटीटीई समर्थक एक नौसेनिक ने हमला किया था। इसका नाम विजीता रोहाना विजेमुनी था। ये हमला उस समय हुआ जब राजीव गांधी गार्ड ऑफ ऑनर के दौराना जवानों की टुकड़ी के काफी निकट चले गए थे। उसी वक्‍त विजेमुनी ने अपनी राइफल की बट राजीव गांधी पर हमला कर दिया। गनीमत रही कि उनके पीछे चल रहे सुरक्षकर्मी ने समय रहते राजीव गांधी को धक्‍का देकर उनकी जान बचा ली और जवान पर काबू पा लिया। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर उसका कोर्ट मार्शल किया गया। राजीव गांधी श्रीलंका में शांति सेना भेजने के बाद वहां के दौरे पर गए थे।

राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में श्रीलंका में शांति प्रयासों के लिए भारतीय सैन्य टुकड़ियों को भी वहां भेजा, लेकिन इसके नतीजे में वे खुद लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ऐलम [लिट्टे] के निशाने पर आ गए। 21 मई 1991 को रात तकरीबन 10 बजकर 10 मिनट पर राजीव गांधी रैली स्थल पर पहुंचे। वे कार की अगली सीट पर बैठे थे और उन्होंने उतरते ही सबका अभिवादन किया। कुछ दूरी पर आत्‍मघाती हमलावर धनु ने उन्‍हें माला पहनाई और तभी एक धमाके ने वहां मौजूद सभी लोगों के चीथड़े हवा में उछाल दिए। इनमें राजीव गांधी भी थे। उनके शव की पहचान उनके पहने हुए लोटो के जूते और घड़ी से की गई थी।

संजय गांधी के जीवित रहने तक राजीव गांधी राजनीति से बाहर ही रहे। लेकिन संजय गांधी की 23 जून, 1980 को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो गई जिसके बाद इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में लेकर आईं थीं। जून 1981 में वह लोकसभा उपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी बनाए गए। उनके कार्यकाल में बोफोर्स तोप की खरीददारी में घूस लिए जाने का मुद्दा विपक्ष की तरफ से जोरशोर से उठाया गया जिसकी वजह से चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और राजीव को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा। इस तोप सौदे का मुख्य पात्र इटली का एक नागरिक ओटावियो क्वात्रोच्चि था।

1965 में राजीव गांधी की मुलाकात एल्बिना से हुई थी। एल्बिना कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई कर रही थीं। उनके घर की आर्थिक हालत बेहद कमजोर होने की वहज से वो एक रेस्तरां में पार्ट टाईम काम करती थीं, वहीं उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई। ये मुलाकात जल्‍द ही प्यार में बदल गई और यह प्‍यार शादी के गठबंधन में बदल गया। शादी के बाद एल्बिना को नया नाम मिला सोनिया। आज इसी नाम से उन्‍हें देश जानता है। वह आज देश की ताकतवर महिला राजनीतिज्ञ भी हैं।